शेयर बाजार में आई भारी गिरावट, अगले सप्ताह भी दबाव बने रहने का अनुमान


 






मुंबई , कोरोना काल में किये गये लाॅकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आने के दबाव और काेरोना वायरस पीड़ितों की संख्या में लगातार जारी वृद्धि के साथ ही भारत चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने से हतोत्साहित निवेशकों की बिकवाली से बीते सप्ताह घरेलू शेयर में भारी बिकवाली देखी गयी। अगले सप्ताह भी बाजाार पर इन कारकों के हावी रहने से दबाव बने रहने का अनुमान जताया गया है।



समीक्षाधीन अवधि में बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1110.13 अंक अर्थात 2.81 प्रतिशत गिरकर 38357.18 अंक पर रहा। सप्ताह के दौरान यह 40 हजार अंक के स्तर को पार करने में सफल रहा लेकिन भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बढ़ने की खबर के दबाव में यह अपने स्तर को बरकरार रखने में असफल रहा। इसी तरह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 313.75 अंक अर्थात 2.69 प्रतिशत गिरकर 11333.85 अंक पर रहा।



इस दौरान छोटी और मझौली कंपनियों में भी बिकवाली हावी रही जिससे बीएसई का मिडकैप 2.76 प्रतिशत गिरकर 14817.06 अंक पर और स्मॉलकैप 2.59 प्रतिशत फिसलकर 14602.97 अंक पर रहा।



कोरोना वायरस संक्रमण से निटपने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण अप्रैल से जून के दौरान चालू वित्त वर्ष की तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर शून्य से 23.9 प्रतिशत नीचे लुढ़क गया जो 40 वर्षाें में सबसे बड़ी गिरावट है। केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी जीडीपी के तिमाही आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह दर 5.2 प्रतिशत रही थी। लॉकडाउन के कारण देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गयी थी।



मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर मई मध्य तक पूरे देश में पूर्ण बंदी रही थी। इसके बाद सरकार ने चरणबद्ध तरीके से सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करते हुये विनिर्माण सहित विभिन्न गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति दी थी और अब तक सभी क्षेत्र काेरोना से पहले की स्थिति में काम नहीं कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 2689556 करोड़ रुपये रहा है जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 3535267 कराेड़ रुपये की तुलना में 23.9 प्रतिशत कम है। इस तरह से देश के जीडीपी की वृद्धि दर शून्य से 23.9 प्रतिशत नीचे रही है।



विश्लेषकों का कहना है कि यात्री वाहनों की बिक्री में सुधार होने से ऑटो मोबाइल समूह को थोड़ा बल मिला लेकिन जीडीपी में गिरावट और कोरोना के मामलों में बढोतरी होने से निवेशधारणा कमजोर हो गयी। इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर फिर से तनाव बढ़ने का असर भी बाजार पर दिखा है। उनका कहना है कि अगले सप्ताह भी बाजार पर इनका असर होगा और बाजार पर दबाव दिख सकता है।