उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा,वृद्धों को भी मिले सभी सुख-सुविधाएं





नयी दिल्ली,उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने संयुक्त परिवार प्रणाली पर बल देते हुए कहा है कि वृद्धों को समाज में उपलब्ध सभी सुख और सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए।

श्री नायडू ने रविवार को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर वृद्धावस्था पर लिखे एक लेख में कहा है कि हमारे शहर और वहां की सुविधाएं वृद्धों के लिए सुगम्य सुलभ होनी चाहिए। बुजुर्गों का अधिकार है कि सार्वजनिक स्थान और सुविधाएं उनके लिए बाधा रहित एवं सुगम हों। सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए अनेक योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं, इनमें प्रधानमंत्री वय वन्दन योजना तथा वरिष्ठ नागरिक कल्याण निधि तथा असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों और खादी कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं शामिल हैं।

उप राष्ट्रपति ने कहा , " इन सरकारी योजनाओं के बावजूद भी हम देखते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न सुविधाओं का लाभ लेने के लिए भी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। कितनी ही बार देखने में आता है कि वरिष्ठ नागरिकों को बसों, रैलों, बैंकों या सरकारी दफ्तरों की लाइनों में घण्टों खड़ा रहना पड़ता है।" उन्होंने कहा कि ये स्थति पांच हजार साल पुरानी हमारी उस सभ्यता के संस्कारों के विरुद्ध है जिसमें अंधे माता-पिता को कंधे पर उठा कर तीर्थयात्रा कराने वाले श्रवण कुमार जैसे आदर्श पुत्र पर गर्व हो और जिसके पास पुरुषोत्तम श्री राम जैसी आदर्श प्रेरणा हो जिसने पिता का वचन रखने के लिए सहर्ष ही वनवास स्वीकार कर लिया हो।

श्री नायडू ने सवाल किया कि क्या हम अपने आदर्श, अपने संस्कार भूल रहे हैं, अपनी नैतिकता खो रहे हैं? उन्होंने कहा कि बुजुर्ग दशकों के अनुभव और सदियों के ज्ञान का भण्डार हैं। उनके साथ इज़्ज़त, स्नेह, सत्कार के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। अपने जीवन की संध्या में वे सम्मान और सेवा के अधिकारी हैं। यह सभी का, विशेषकर युवा पीढ़ी का पावन कर्तव्य है कि अपने बुजुर्गों की सेवा करें। बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम का प्रचलन न सिर्फ समाज में बदलाव का द्योतक है बल्कि हमारे पारिवारिक मूल्यों में आ रही गिरावट, ह्रास और हानि को भी दर्शाता है।आधुनिक जीवन शैली ने हमारी पारंपरिक संयुक्त परिवार की प्रथा को हानि पहुंचाई है। संयुक्त परिवार प्रणाली में हमारे संस्कार सुरक्षित संचित रहते थे, हमारे रीति रिवाज बचे और बने रहते थे और पीढ़ी दर पीढ़ी चलते जाते थे।