हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजे शिवालय, भक्तों ने किया जलाभिषेक

प्रयागराज,देवों के देव महादेव का पावन पर्व महाशिवरात्रि आज है। शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व महाशविरात्रि के अवसर पर तीर्थराज प्रयाग के शिवालय “ ऊं नम: शिवाय और हर-हर महादेव” के उद्घोष से गुंजायमान है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जल, दुग्ध, शहद, दही, गन्ने का रस से अभिषेक किया जाता है। श्रद्धालु त्रिवेणी स्नान के बाद अपने आराध्य शिव का अभिषेक करने के लिए मंदिरों के बाहर हाथों में पुष्प, बेल एवं बेलपत्र,धतूरा, मदार, भांग लेकर कतार में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए ऊं नम: शिवाय का जाप करते नजर आ रहे हैं। मंदिरों केबाहर भक्तों का ताँता लगा हुआ है।


फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है| हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन सर्वसिद्धा योग भी बन रहा है। शहर के शिवालयों को सुन्दर ढंग से सजाया गया है। मनकामेश्वर, सोमेश्वर महादेव, पंडिला महादेव एवं तक्षकेश्वर महादेव आदि शिवालयों में श्रद्धालुओं का रूद्राभिषेक भी चल रहा है।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं। धर्म, आस्था और पौराणिक मान्यताओं वाले प्रयाग के शिवालयों की अपनी विशेषताएं हैं। शिवालयों में देवाधिदेव महादेव की विधि-विधान से आराधना की जा रही है। मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान किये जा रहे हैं।


शहर के विशिष्ट शिवालयों मनकामेश्वर मंदिर, पड़िला महादेव, सोमेश्वर महादेव, तक्षकेश्वर महादेव, दशाश्वमेध मंदिर, कोटेश्वर महादेव, दसाश्वमेध आदि के एंतिहासिक शिवालयों में घंटे घडियाल के बीच मंचाक्षरी ऊं नम: शिवाय, हर-हर महादेव के स्वर गूंज रहे हैं।
यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन शहर के सभी शिवालयों से ज्यादा यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है। मान्यता है इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम ने अयोध्या से वन जाते समय की थी। यहां शिवजी का काले पत्थर का शिवलिंग है। शिवलिंग के पास नंदी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। प्रयाग की परिक्रमा में अक्षयवट के दर्शन करने के बाद मनकामेश्वर महादेव का दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है।


फाफामऊ के पास स्थित प्राचीन पड़िला महादेव की स्थापना पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय की थी। यह मंदिर शिवजी के अग्रज और ब्रह्माजी के मानसपुत्र सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार चारों ब्रह्मऋषियों की तपस्थली है। विद्वानों का मानना है कि पड़िला महादेव का स्वयंभू शिवलिंग बाबा बैजनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग के समान है। अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में महादेव का शिव लिंग स्थापित है। मंदिर में पांच छोटे-छोटे और मंदिर हैं, जिसमें नर्मदेश्वर महादेव एवं हनुमान जी की मूर्तियां हैं। मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि चंद्रमा ने क्षयरोग से छुटकारा पाने के लिए सोमेश्वरनाथ शिवलिंग की स्थापना करके शिवजी की घोर तपस्या की थी। शिवजी ने प्रसन्न होकर चंद्र को पापमुक्त कर दिया।


शहर के दरियाबाद में स्थित भगवान शंकर का यह मंदिर तक्षक कुंड के लिए प्रसिद्ध है। यहां तक्षकेश्वर महादेव के शिवलिंग के पास चारों ओर तांबे का अर्घ्य बना हुआ है। लिंग के ऊपर नागदेवता विराजमान हैं। मंदिर में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की छोटी-छोटी प्रतिमाएं हैं। मंदिर के पुजारी पराग महाराज के अनुसार, महाशिवरात्रि पर भक्त कालसर्पदोष से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक, महाभिषेक और जलाभिषेक का कार्यक्रम चल रहा है।


शिवकुटी मोहल्ले में स्थित कोटेश्वर महादेव का दर्शन करने से श्रद्धालुओं को एक करोड़ शिवलिंगों का आशीर्वाद मिलता है। जनश्रुति के मुताबिक, भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आते समय महर्षि भारद्वाज मुनि का आशीर्वाद लेने के लिए आश्रम में आए थे। तब भारद्वाज मुनि ने श्रीराम को ब्रह्म हत्या का दोषी मानते हुए आशीर्वाद देने से मना कर दिया। उस समय राम ने प्रायश्चित करने के लिए एक करोड़ शिवलिंगों को एकत्रित करके कोटेश्वर महादेव की स्थापना की।


गंगा के तट पर स्थित दारागंज स्थित दशाश्वमेध मंदिर बहुत प्राचीनहै। इसके बारे में मान्यता है कि यहां ब्रह्माजी ने प्रकृष्ट यज्ञ किया था। मंदिर के गर्भगृह में दो लिंग हैं। यहां पर शेषनाग, दुर्गा, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश, राम, लक्ष्मण और सीता के साथ विशाल त्रिशूल स्थापित है। शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंच रहे हैं।